
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते 2006 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया है। वर्तमान में इंवेस्ट यूपी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) के रूप में कार्यरत अभिषेक प्रकाश पर सोलर पैनल निर्माण कंपनी से 5% कमीशन मांगने का आरोप है। यह कार्रवाई प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीति को और मजबूत करती है और शासन में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
कौन हैं IAS अभिषेक प्रकाश?
IAS अभिषेक प्रकाश का प्रशासनिक करियर प्रभावशाली रहा है। वे बिहार में जन्मे एक वरिष्ठ अधिकारी हैं, जिन्होंने IIT रुड़की से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है। 2006 में यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने प्रशासनिक सेवा में कदम रखा।
उनकी प्रमुख प्रशासनिक नियुक्तियाँ इस प्रकार रही हैं:
- जिलाधिकारी (DM): लखीमपुर खीरी, बरेली, अलीगढ़, हमीरपुर और लखनऊ
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO): इंवेस्ट यूपी
- लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के उपाध्यक्ष
उनकी कार्यशैली को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ रही हैं। लखनऊ के DM रहते हुए उन्होंने कई बड़े फैसले लिए, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों ने उनके प्रशासनिक करियर पर काले बादल ला दिए।
भ्रष्टाचार का मामला: 5% कमीशन की मांग का आरोप
सूत्रों के अनुसार, SAEL Solar P6 प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कंपनी उत्तर प्रदेश में सोलर प्लांट और सोलर पैनल निर्माण की फैक्ट्री लगाना चाहती थी। कंपनी के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्ता ने इंवेस्ट यूपी के तहत Letter of Comfort (LOC) के लिए आवेदन किया था।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि IAS अभिषेक प्रकाश ने निकांत जैन नामक व्यक्ति के माध्यम से 5% कमीशन की मांग रखी। जब विश्वजीत दत्ता निकांत जैन से मिले, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बिना कमीशन दिए फाइल आगे नहीं बढ़ेगी।
इस गंभीर आरोप के बाद सरकार ने मामले की गहराई से जाँच शुरू कर दी।
जांच और निलंबन की प्रक्रिया
- सरकार ने फाइलों की गहन जांच की और संबंधित अधिकारियों से पूछताछ की।
- भ्रष्टाचार की पुष्टि होते ही IAS अभिषेक प्रकाश को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
- सरकार ने आगे की विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
- वर्तमान में इस मामले की उच्च स्तरीय जांच जारी है।
योगी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी नीति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए कड़े फैसले ले रही है। पिछले कुछ वर्षों में:
- कई वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच हुई।
- भ्रष्ट अधिकारियों को सेवा से निलंबित किया गया।
- सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाने के लिए डिजिटल प्रणाली अपनाई गई।
- जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे मिले, इसके लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) को बढ़ावा दिया गया।
इस निलंबन को भी इसी नीति के तहत देखा जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि चाहे कोई भी पद पर हो, भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
प्रशासनिक हलकों में हलचल
इस निलंबन के बाद उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक हलकों में खलबली मच गई है।
- कई अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई अन्य अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है।
- कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करने से प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- वहीं, कुछ अधिकारी इस मामले को राजनीति से प्रेरित भी मान रहे हैं।
इस मामले में आगे क्या होगा?
अभिषेक प्रकाश का निलंबन अभी प्रारंभिक कार्रवाई है। आगे की प्रक्रिया में:
- जांच समिति अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंपेगी।
- अगर भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- उन्हें सरकारी सेवा से निष्कासित भी किया जा सकता है।
- यदि आरोप गलत साबित होते हैं, तो उन्हें बहाल किया जा सकता है।